पटना 20 मई : कोरोना वायरस (Coronavirus) के कहर के बाद बिहार में राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) टाल दिए हैं. मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए पंचायत चुनाव नहीं होने के कारण वैकल्पिक व्यवस्था को लेकर अब सत्ता पक्ष और विपक्ष में तकरार शुरू हो गई है. पंचायत चुनाव टलने की स्थिति में जब पंचायत के प्रतिनिधियों और कार्यकाल पूरा हो जाएगा तो फिर इसकी वैकल्पिक व्यवस्था का क्या होगा, इसे लेकर दो तरह की राय बन रही है.
इन दिनों वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में पंचायतों को अफसरों के हाथों में सौंप दिए जाने या फिर मुखिया-सरपंच सहित अन्य पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल आगे बढ़ाने जैसे दो प्रमुख उपायों पर मंथन जारी है. विपक्षी दलों का कहना है कि 15 जून के बाद भी मौजूदा निर्वाचित प्रतिनिधियों को ही पंचायत के कामकाज के संचालन का अधिकार दिया जाए. हालांकि सत्ताधारी दल इसके ठीक विपरीत राय रखते नजर आ रहे हैं. उनका मानना है कि सरकार इस पर उचित फैसला ले सकती है.
चुनाव को लेकर भाजपा और जेडीयू का मत
बिहार मीडिया रिपोर्ट की मानें तो मौजूदा जनप्रतिनिधियों के कामकाज को लेकर भाजपा की स्पष्ट राय है कि कार्यकाल बढ़ाया नहीं जाए. पार्टी प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद की मानें तो निर्वाचित प्रतिनिधियों का अपना कार्यकाल पूरा करने के लिए 5 साल का समय मिल चुका है और इस दौरान उन्होंने अपनी जिम्मेवारी भी निभाई है.
ऐसे में अगर कोई काम पूरा नहीं हो पाया है, तो सरकार उसे अपने स्तर पर पूरा कर लेगी. हालांकि सत्तारूढ़ दल का एक घटक जदयू इस मामले में अब तक कोई स्पष्ट राय नहीं बन सका है. जदयू नेताओं की मानें तो अभी करोना संकट के बीच कुछ भी कहना सही नहीं है बल्कि उचित समय पर सरकार इस मामले में खुद से फैसला कर लेगी .उधर मुख्य विपक्षी दल राजद का मत अलग ही है.
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह मौजूदा प्रतिनिधियों का कार्यकाल बढ़ाने के पक्ष में नजर आते हैं. जबकि कांग्रेस भी प्रजातांत्रिक व्यवस्था में पंचायतों के मामले में अफसरशाही के न्यूनतम हस्तक्षेप को ही बेहतर स्थिति मानती है.