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नई खोज : भारत की इस कंपनी ने दुनिया का पहला निजी डिजिटल न्यायालय किया हुआ लॉन्च,देखें क्या है ऑनलाइन कॉर्ट



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भारत में ज्यूपिटिस जस्टिस टेक्नोलॉजीज ने निजी न्याय प्रणाली (वैकल्पिक विवाद समाधान या एडीआर तंत्र) के तहत दुनिया का पहला निजी डिजिटल कोर्ट विकसित किया है। लॉटैक (कानूनी तकनीक) में इनोवेशन को लेकर यह कंपनी काफी काम कर रही है। लगातार बढ़ते विवादों और उच्च मामलों के लंबित होने से विश्वभर में सार्वजनिक न्याय प्रणाली पर बोझ बढ़ा है। विश्व न्याय परियोजना के अध्ययन के अनुसार, लगभग 5 बिलियन लोग ऐसे हैं जिनकी बुनियादी न्याय आवश्यकताओं तक पहुंच नहीं है। यही कारण है कि एक निजी डिजिटल कोर्ट, जोकि ऑनलाइन एडीआर कार्यवाही या आउट-ऑफ-सैटलमैंट्स की सुविधा देती है।

ज्यूपिटिस के संस्थापक और सीईओ रमन अग्रवाल कहते हैं, 'यह एक नया न्याय आदेश है जिसमें शामिल सभी पक्ष खुश हैं। मुकदमेबाजी प्रक्रिया के विपरीत, एडीआर तंत्र के माध्यम से त्वरित, कम तनावपूर्ण, कम लागत वाला न्याय मिलता है और परिणाम यह होता है कि एक स्वस्थ कारोबारी संबंध बनाते हुए परस्पर समझौता होता है।’

ज्यूपिटिस का निजी डिजिटल कोर्ट दुनिया के पहले एंड-टू-एंड डिजिटल न्याय वितरण प्लेटफॉर्म का एक संयोजन है जो विवाद में शामिल सभी प्रतिभागियों को ऑनलान और सिंगल प्लेटफॉर्म पर कार्य (केस फाइलिंग से लेकर निपटान तक के कार्य) करने की सुविधा देता है। ज्यूपिटिस ने दुनिया भर के एडीआर पेशेवरों को अपना ‘मार्केटप्लेस’ बनाने के लिए भी एकत्रित किया है जिससे न्याय चाहने वालों के लिए न्याय प्रदाताओं से जुडना और भी आसान हो गया है। 

ज्यूपिटिस के सह-संस्थापक, श्रेय अग्रवाल भी कहते हैं, 'जुपिटिस में, न्याय एक सेवा है और किसी भी अन्य सेवा की तरह, आप एडीआर पेशेवरों की खोज कर सकते हैं, उनके साथ जुड़ सकते हैं, मंच पर अपनी पसंद के विवाद समाधान तंत्र (जैसे आर्बीटरेशन या मिडीएशन) का चयन कर सकते हैं और सेवाओं के लिए भुगतान अंत में कर सकते हैं।'

वर्तमान कोविड-19 परिदृश्य के संदर्भ में, डिजिटल न्याय की आवश्यकता पर पहले से कहीं अधिक चर्चा की गई है। नीति आयोग की ओडीआर हैंडबुक जारी करते हुए, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने ऑनलाइन विवाद समाधान की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया और कहा, ‘किफायती ओडीआर सेवाओं का प्रभावी उपयोग विवाद में शामिल पक्षों की धारणा में एक बड़ा बदलाव ला सकता है- प्रक्रिया को अत्याधिक सुलभ, किफायती और सहभागी बनाते हुए। अंतत: यह अधिक कुशल विवाद समाधान की ओर ले जाएगा।’ सौ :अमर उजाला 



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