कृष्णा पटेल : (फाइल फोटो) |
पटना 26 जून : बिहार के वरीय छात्र नेता सह छात्र जदयू के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष कृष्णा पटेल ने बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से यह मांग किया है कि बिहारी छात्रों व युवाओं की हितों की रक्षा और उनकी हकमारी पर अंकुश लगाने के लिए संविधान में आवश्यक संशोधन कर अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी डोमिसाइल नीति लागू किया जाए और बिहारी छात्रों - युवाओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कम से कम 80 से 90 फीसदी सीट आरक्षित हो। ताकि इनके वास्तविक अधिकार पर किसी और का कब्जा ना हो।
क्योंकि बिहार में अब उच्च शिक्षा की बात हो या तकनीकी, विधि, चिकित्सा शिक्षा की या फिर सामान्य प्रतियोगी परीक्षाओं में रुचि रखने वाले प्रतिभावान छात्रों की एक लंबी कतार है और शिक्षित बेरोजगारों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जो एक बहुत बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है।
आज बिहार के शिक्षित युवा अभ्यार्थियों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। जहां एक ओर बड़ी आबादी वाली इस राज्य में सीमित संसाधन और सीमित सरकारी नौकरियां है ।
वहीं बिहार में डोमिसाइल नीति लागू नहीं होने का नाजायज फायदा उठाते हुए अन्य पड़ोसी राज्यों के अभ्यर्थी बिहार सरकार की नौकरियों में बड़ी तादाद में आवेदन करते हैं और बिहारी छात्र- युवाओं की हकमारी कर रहे हैं।
विशेषकर असिस्टेंट प्रोफेसर सहित वैसे सभी नियुक्तियां जिसमें एकेडमिक रिकॉर्ड और अंक के आधार पर चयन किया जाता हो। उस प्रकार के चयन पद्धति वाली नियुक्तियों में सर्वाधिक बिहारी छात्रों के प्रतिभा का हनन और उनकी हकमारी हो रही है ।
जिसका मूल कारण बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों का एकेडमिक सेशन विलंब से चलना, कड़ी परीक्षा प्रणाली से गुजरने के बावजूद छात्रों को औसतम अंक प्राप्त होना कहीं ना कहीं अन्य पड़ोसी राज्यों के छात्रों तुलना में बिहारी छात्र पिछड़ जाते हैं।
बिहारी छात्रों को बड़ी मुश्किल से 70% से 80% अंक प्राप्त होते हैं जबकि 85%से 90% या डिस्टिंक्शन अंक प्राप्त कर पाना बिहारी छात्रों के लिए टेढ़ी खीर है।
वहीं अन्य पड़ोसी राज्यों में स्थित अधिकतर निजी विश्वविद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों को बड़ी आसानी से 80% से 90% अंक प्राप्त हो जाते हैं जो एक आम बात है और डिस्टिंक्शन अंक प्राप्त करना खास बात हो सकती हैं।
यही कारण है कि असिस्टेंट प्रोफेसर सहित ऐसी सभी बड़े स्तर की नियुक्तियां जिसमें एकेडमिक रिकॉर्ड और प्राप्त अंक के आधार पर चयन किया जाता हो। उस चयन प्रक्रिया में सबसे अधिक अन्य पड़ोसी राज्यों के अभ्यार्थियों का चयन हो रहा है और बिहार के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं की प्रतिभा का हनन और उनकी हकमारी हो रही है ।
छात्र नेता कृष्णा पटेल ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दृढ़ निश्चय व अथक प्रयासों से यह संभव हो पाया है कि आज संपूर्ण बिहार के घर-घर में शिक्षा का दीप जल रहा है।
जिसके फलस्वरूप अब बिहार पूरी तरह से साक्षर बिहार और शिक्षित बिहार बन चुका है।
आज बिहार के बेटे और बेटियां शिक्षा के क्षेत्र में परचम लहरा रही है जिसका पूरा श्रेय बिहार के अद्वितीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी को जाता है। जिन्होंने विभिन्न प्रकार की योजनाओं के माध्यम से बिहार की जनता को शिक्षा के प्रति जागरूक किया और विशेषकर बेटियों को घर की चहारदीवारी से बाहर निकाल कर पाठशाला तक पहुंचाया और उनकी सुनी हाथों में कलम थमाया और आज इस काबिल बना दिया है कि अपना रोजगार मांगने वाले छात्रों - युवाओं की एक बड़ी जत्था सरकार का दरवाजा खटखटा रही है।
इसलिए मैं पुनः बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और समस्त जनप्रतिनिधियों से बिहारी छात्रों व युवाओं के साथ हो रही हकमारी पर अंकुश लगाने के लिए "डोमिसाइल नीति" लागू कर बिहारी छात्रों के लिए न्याय का गुहार लगाता हूं। जो वर्तमान समय का सबसे महत्वपूर्ण मांग है।