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बिहार के बिना कैसे होगा देश का विकास :- कृष्णा पटेल

पटना 17 दिसंबर: बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग एक बार फिर से अपना परचम लहरा रही है। बिहार को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाकर खड़ा करना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह एक ड्रीम प्रोजेक्ट है जिसे लेकर कई वर्षों से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए प्रयासरत हैं और यह मांग केंद्र सरकार के पास लंबित है।

जिसे लेकर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद ललन सिंह ने सदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग एक बार फिर से उठाई है।

17 मार्च 2013 में बिहार से लेकर दिल्ली तक नीतीश कुमार के आवाह्न पर विशेष राज्य का दर्जा को लेकर अधिकार का झंडा लहरा चुके बिहार के वरिय छात्र नेता व छात्र जदयू के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष कृष्णा पटेल ने ट्वीट करते हुए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद ललन सिंह द्वारा सदन में  प्रधानमंत्री के समक्ष उठाएं गए विशेष राज्य के दर्जे कि लंबित मांग को जल्द स्वीकार कर बिहार के साथ न्याय करने की मांग का पुरजोर समर्थन करते हुए बयान जारी किया है कि भीख नहीं ना कर्जा चाहिए बिहार को वास्तविक अधिकार के तहत विशेष राज्य का दर्जा चाहिए।

क्योंकि विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त करने के लिए जो मापदंड केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित है बिहार उसे पूरा करता है और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है की देश का संपूर्ण विकास हो। लेकिन बिहार के बिना कैसे होगा देश का संपूर्ण विकास।

कृष्णा पटेल ने देश के प्रधानमंत्री से आग्रह करते हुए कहा कि देश के प्रधान बिहार पर दें विशेष ध्यान ।क्योंकि बिहार के 38 में से 15 जिले बाढ़ से प्रभावित रहते हैं, बिहार के 90 फ़ीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है जबकि 96 फ़ीसदी कृषि भूमि सीमांत और छोटे किसानों के पास है।

इस राज्य के 32 फ़ीसदी परिवार भूमिहीन है और बिहार का जनसंख्या घनत्व राज्यों में सबसे अधिक है। वहीं झारखंड-बिहार विभाजन के बाद बिहार में प्राकृतिक संसाधनों का घोर अभाव है।

नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार देश का सबसे गरीब राज्य बिहार है और नीति आयोग की रिपोर्ट भी बता रही है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए।

क्योंकि विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों की प्रति व्यक्ति आय बिहार की तुलना में सबसे अधिक है जैसे विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त कर चुके राज्य सिक्किम में 4,87,201 रुपए प्रति व्यक्ति, उत्तराखंड में 2,26,144 रुपे प्रति व्यक्ति, हिमाचल प्रदेश में 2,25,879 रुपए प्रति व्यक्ति मिजोरम में 2,21,380 प्रति व्यक्ति इत्यादि है। 

वहीं बिहार में प्रति व्यक्ति आय केवल ₹50735 हैं जो यह दर्शाता है कि बिहार एक गरीब राज्य है।आज बिहार अपने बलबूते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चौमुखी विकास कर रही है जिसका विकास दर अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है और केंद्र सरकार का सकारात्मक सहयोग मिलने पर वास्तविक मापदंड के आधार पर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिला तो और तेज गति से बिहार का चौमुखी विकास होगा।

क्योंकि सहायता राशि में केंद्र व राज्य सरकार का अनुपात 60-40 से बढ़कर 90-10 हो जाएगी और इससे बचे राज्य के पैसे का उपयोग अन्य विकास योजनाओं पर खर्च कर बिहार विकसित राज्य बनेगा।

इसलिए देश का अभिन्न अंग होने के नाते बिहार राज्य का भी अधिकार है विकसित राज्य बनें, हमारा भी अधिकार है रोजगार के अवसर बिहार में पैदा हो, विकास का अधिकार हमारा भी अधिकार है। लेकिन हमारी उपेक्षा हुई है नीतियां ऐसी बनी जो कहीं से बिहार जैसी अन्य पिछड़े राज्यों के हित में नहीं है।

इसीलिए नीतियों में बदलाव कर ज्ञान का केंद्र व देश की आजादी में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले  बिहार राज्य के साथ-साथ अन्य पिछड़े राज्यों का वास्तविक अधिकार दिया जाए।

जदयू नेता ने आगे कहा कि बिहार के साथ सौतेला व्यवहार देश हित में नहीं अब इंडिया और भारत का विभाजन मंजूर नहीं। हमें पूरा हिंदुस्तान का विकास चाहिए जिसमें बिहार राज्य भी अग्रिम श्रेणी में आती है।

बिहार का शाब्दिक अर्थ बदलाव है और इतिहास इसका गवाह है इसलिए समस्त बिहारी अपना हक की लड़ाई लड़ना जानते हैं जिसकी झांकी 17 मार्च 2013 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व में दिल्ली के रामलीला मैदान में अंगड़ाई ली थी और अगर लगातार इसी प्रकार की उपेक्षा की गई तो विशेष राज्य का दर्जा के लिए बिहार की पूरी लड़ाई बाकी है।

                     

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