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चिराग का हश्र देख बेचैन हुए भाई तेजस्वी :- कृष्णा पटेल




पटना। बिहार के वरीय छात्र नेता सह छात्र जदयू के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष कृष्णा पटेल ने राजद के विधायक दल की बैठक पर तंज कसते हुए कहा है कि जिस प्रकार से लोजपा के पूर्व सर्वमान्य नेता स्वर्गीय रामविलास पासवान ने पुत्रमोह व व्याप्त स्वार्थ में आकर पार्टी को खून- पसीने से सिंचने वाले और हर सुख- दुःख के साथी अपने सगे भाई पशुपति पारस सहित कई कद्दावर नेताओं को दरकिनार करते हुए जबरन पार्टी का राजकुमार बताते हुए अपने बेटे चिराग पासवान को पार्टी के सिंहासन पर बैठा दिये थें ।

लेकिन आज उनकी मृत्यु होने के चंद महीनों के बाद हीं अपने-आपको अपमानित महसूस करने वाले लोजपा के कद्दावर नेताओं ने एकजुट होकर अपने वास्तविक हक के लिए बगावत का बिगुल फूंकते हुए चिराग पासवान का जो हश्र किए हैं। 

उसे देखकर अब नेता प्रतिपक्ष भाई तेजस्वी यादव को अपनी पार्टी में एक बड़ी टूट होने का एहसास हो रहा है । जिससे चिराग पासवान जैसा खुद का भी हश्र होने का डर सताने लगी है और बेचैनी इस कदर  बढ़ गई है कि विरासत में मिली पुत्रवाद का राजनैतिक सिंहासन वाली तोहफा को बचाने के लिए झूठा और मनगढ़ंत तरीके से एनडीए की अटूट गठबंधन वाली बिहार सरकार को नित्य- दिन गिरने और गिराने की बात कहकर  

जनप्रतिनिधियों को "मुंगेरीलाल के हसीन सपने का ख्वाब" दिखाते हुए मानसिक रूप से प्रेशर पॉलिटिक्स खेल रहे हैं और तरह-तरह के प्रलोभन दे रहे हैं।

इसी घटनाक्रम का एक चक्र है राजद की यह विधायक दल का बैठक । जिसमें राजद ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में चुनावी मैदान में उतरने वाले अपने सभी 140 प्रत्याशियों को इस बैठक में शामिल किया था और खाने के लिए तरह-तरह के लजीज व्यंजन परोसकर  प्रत्याशियों का मन टटोलने और विश्वास में लेने के प्रयास में लगे हुए हैं। ताकि लजीज व्यंजन खाकर मेरे हित में तोते की तरह पढ़ी-पढ़ाई मीठी-मीठी  बातें कर सकें।

लेकिन हकीकत यह है कि राजद को अपने खून-पसीने से सिंचने वाले और खुद को अपमानित महसूस करने वाले वरीय कद्दावर नेताओं की एक लंबी सूची है।

जो समय-समय पर अपना बगावती तेवर दिखा चुके हैं।

जिसमें राजद के भीष्म पितामह और रीढ़ माने जाने वाले स्वर्गीय रघुवंश प्रसाद सिंह अग्रिम भूमिका में थें।

वहीं अब्दुल बारी सिद्धकी सहित कई वरीय कद्दावर नेता  भाई तेजस्वी यादव के समक्ष अपने- आपको अपमानित और असहज महसूस कर रहे हैं। ऐसी बातें कई बार मीडिया में आ चुकी है। 

जबकि पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय के सुपुत्र चंद्रिका राय, पूर्व मुख्यमंत्री राम लखन सिंह यादव के सुपौत्र , वरिष्ठ नेता रामकृपाल यादव,  पप्पू यादव सहित राजद के पूर्व  वरीय नेताओं ने पहले ही तेजस्वी यादव को नेता मानने से इनकार करते हुए बगावत का बिगुल फूंकते हुए दूसरे - दूसरे पार्टियों का दामन थाम चुके हैं।

ऐसे में अभी वर्तमान समय में लोजपा में चिराग पासवान के साथ घटित घटना चक्र एक बार फिर से तेजस्वी यादव की जख्मों को ताजा कर सोचने पर मजबूर कर दिया है ।

जिसके कारण भाई तेजस्वी यादव अपना मानसिक संतुलन खो बैठें हैं । इसलिए बिहार सरकार को हर दिन गिरने और गिराने की बात कहते फिर रहें और अपने विधायकों को शेर आया शेर आया की कहानी सुना रहे हैं।

सच्चाई तो यह है कि एनडीए गठबंधन वाली नीतीश सरकार पुनः मजबूती के साथ बिहार में चहुमुखी  विकास की धाराप्रवाह करते हुए पूरे 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगी और टकटकी लगाए रहने वाले लोग अपने विधायकों को झूठी दिलासा देते हुए देखते  रह जाएंगे।

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