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हिंदी भाषा को विश्व स्तर पर खास पहचान दिलाना मूल उद्देश्य: कृष्णा पटेल

पटना 10 जनवरी:  छात्र जनता दल यूनाइटेड के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष और बिहार के वरीय छात्र नेता कृष्णा पटेल ने विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर एक बयान जारी करते हुए कहा है कि हर वर्ष 10 जनवरी को मनाए जाने वाले विश्व हिंदी दिवस का मूल उद्देश्य पूरे विश्व भर में हिंदी भाषा को प्रचारित-प्रसारित कर एक खास पहचान दिलाना है।

छात्र नेता ने कहा कि भारत मूल रूप से हिंदी भाषी राष्ट्र है।
जिस धरती पर हिंदी साहित्य के कई विद्वान महापुरुष ने जन्म लिया। जिसमें हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त और सेठ गोविंद दास के साथ ब्योहर राजेंद्र सिम्हा ने हिंदी भाषा को खास पहचान दिलाई और भारत की संविधान सभा के जरिए भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया था।

जिसके बाद हिंदी भाषा को व्यापक पैमाने पर प्रचारित-प्रसारित करने के उद्देश्य विभिन्न विषयों पर पहले सभी सरकारी कार्यालयों में हिंदी में व्याख्यान आयोजित किए जाने लगे और 10 जनवरी 1975 को प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन नागपुर में किया गया।

तब उसी दिन से विश्व हिंदी दिवस के रूप में 10 जनवरी को मनाया जाता है। जिसे बाद में देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आधिकारिक रूप से घोषणा करते हुए 10 जनवरी 2006 को विश्व हिंदी दिवस के रूप मनाया और आज विश्व भर के हिंदी भाषा के लोकप्रिय जनता व हिंदी साहित्यकारों के साथ- साथ सभी सरकारी, गैर सरकारी व निजी विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में एक त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।

देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के तहत अधिकारिक भाषा में शामिल किया गया था। जिसे आज हम सभी भारतीय बड़े गर्व के साथ कहते हैं की "हिंदी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा। 
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा ।।

क्योंकि हिंदी भाषा गरीबी-अमीरी के साथ -साथ  गांव और शहर की खाई को पाटने का काम करती है। इसीलिए इस भाषा को हम अनेकता में एकता के प्रतीक मानते हैं।
जबकि 14 सितंबर को ब्योहर राजेंद्र सिम्हा जी के जन्म दिवस को हिंदी दिवस के रूप में मनाते हैं क्योंकि इनके अथक प्रयास से 26 जनवरी 1950 को भारत के संविधान के जरिए संशोधित करते हुए हिंदी को अधिकारिक भाषा में शामिल किया गया था। 

कृष्णा पटेल ने आगे कहा कि आज गर्व की बात है की भारत देश के मूल निवासी विभिन्न देशों में हिंदी भाषा के माध्यम से देश की मिट्टी की महक को दूसरे देशों में फैला रहे हैं और इस प्रकार से हिंदी भाषा को प्रचारित-प्रसारित  करने का काम किया है की कई देशों में आज प्रमुखता के साथ हिंदी बोली उसकी मुख्य भाषा बन गई है। जो आज विश्वव्यापी भाषा का रूप धारण करते नजर आ रही है।

जिसका पूरा श्रेय मैं इस देश की मिट्टी में जन्में हिंदी साहित्य के विद्वान महापुरुष सभी वर्तमान और स्मृति शेष साहित्यकारों को देते हुए इस विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कोटि-कोटि नमन करता हूं।

इसलिए विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर यह संकल्प लेते हुए हम सभी छात्र- युवा व नौजवान साथियों का दायित्व बनता है कि अनेकता में एकता के परिचायक बन चुके इस हिंदी भाषा को मजबूती के साथ आगे बढ़ाएं और विश्व हिंदी दिवस को एक त्यौहार के रूप में मनाएं और विभिन्न विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में अनिवार्य रूप से इस कार्यक्रम को आयोजित कराने के लिए संकल्पित रहें।
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