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समाज सुधारक के रूप में नीतीश कुमार की बढ़ती लोकप्रियता से घबराएं कुछ लोग:- कृष्णा पटेल

पटना 21 जनवरी: छात्र जनता दल यूनाइटेड के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष व बिहार के वरीय छात्र नेता कृष्णा पटेल ने शराबबंदी कानून पर कुतर्क संगत बयानबाजी करने वाले नेताओं पर पलटवार करते हुए कहा है कि बिहार की जनताओं के बीच समाज सुधारक के रूप में नीतीश कुमार जी की बढ़ती लोकप्रियता के कारण समाज का अहित चाहने वाले कुछ लोग घबराएं हुए हैं।

कृष्णा पटेल ने आगे कहा कि 2005 में बिहार की सत्ता संभालने के बाद बिहार के लोकप्रिय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार  ने हर क्षेत्र में विकास की चौमुखी धारा बहाते हुए बिहार और बिहारियों की मान सम्मान पूरे देश- दुनिया में बढ़ाया है।
नीतीश कुमार ने शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य करते हुए बिहार को शिक्षित बिहार और साक्षर बिहार बनाया है और आज  1% से भी कम बच्चे ऐसे हैं जो स्कूल से बाहर है जो यह दर्शाता है कि मजबूत इराद और पक्का विश्वास के साथ जनता की सेवा करने वाले समावेशी विकास के वाहक की लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

जबकि राजनीति से ऊपर- उठकर नीतीश कुमार ने प्रकृति से प्रेम करने के लिए मानव प्राणियों को जगाया और जल- जीवन- हरियाली का विशेष अभियान चलाकर प्रकृति प्रेम बढ़ाया। 

वहीं बिहार में बाल- विवाह, दहेज- प्रथा, घरेलू हिंसा व उत्पीड़न सहित लोक शिकायत निवारण केंद्र की स्थापना कर सामाजिक परिवर्तन का बिगुल फूंका तो बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू कर नशाखोरी से उजड़े घरों को बसाया और महिलाओं का मान सम्मान बढ़ाया।

जब समाज सुधार यात्रा के माध्यम से नीतीश कुमार ने बिहार का भ्रमण करने निकले तो बिहार के शिक्षित व सज्जन जनताओं और विशेषकर छात्राएं व महिलाओं की रुझान नीतीश कुमार के प्रति और अधिक देखने को मिली। जिसके कारण एक समाज सुधारक के रूप में नीतीश कुमार जी की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए समाज को अपना पंगु बनाकर रखने वाले व समाज का अहित चाहने वाले लोगों में बेचैनी बढ़ गई और अपना मानसिक संतुलन खो बैठें।


जिसके कारण आज अनाप-शनाप बयानबाजी करते फिर रहे हैं तभी तो सदन में इस कानून बिल का प्रस्ताव पारित करते समय शपथ लेने वाले आज विरोधाभास बोल रहे हैं और अपनी असल प्रवृत्ति को जनता के समक्ष उजागर कर रहे हैं।
सर्वेक्षण के अनुसार बिहार की आधी आबादी पुरुष वर्ग और आधी आबादी महिला वर्ग की है।

जिसमें हमारी भारतीय सभ्यता और संस्कृति के अनुसार महिलाएं शराब का सेवन नहीं करती है या यूं कहें कि शराब से वर्जित वर्ग है।

जो आंकड़ा के अनुसार 50% है वहीं इस प्रदेश में 15 से 20% छोटे बच्चें शामिल है जिन्हें शराब से कोसों दूर रखा जाता है। 
10 से 15% छात्र व युवा वर्ग को शामिल किया जाए तो इनके स्वास्थ्य और बेहतर भविष्य के लिए शराब बेहद नुकसानदेह है जो देश के कर्णधार भी हैं और इस आबादी में 10 से 15% सज्जन वृद्धजन शामिल हैं जो शराब का सेवन नहीं करते हैं।
जो कुल मिलाकर बिहार की सर्वाधिक आबादी का लगभग 92.5% से 95% लोग ऐसे हैं जो शराब का सेवन नहीं करते अथवा उनके स्वास्थ्य और भविष्य के लिए बेहद हानिकारक है।

तो शराबबंदी कानून का विरोध करने वाले या कुतर्क बयानबाजी करने वाले इस बात का जवाब जनता के समक्ष रखें की इस लोकतंत्र में लोकमत की जीत होती है अथवा निजी स्वार्थ वाले 7.2% से 5% अहंकारियों की। 
इसीलिए सच्चाई यही है की विकास पुरुष की ख्याति प्राप्त कर चुके बिहार के अद्वितीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अब एक समाज सुधारक के रूप में बढ़ती लोकप्रियता से कुछ लोग बहुत परेशान हैं।

वैसे हमारे देश में न्यायपालिका से ऊपर कोई नहीं हैं और हम सभी देशवासी अपने न्यायपालिका पर पूरी आस्था और विश्वास रखते हैं और देशहित व राज्यहित के साथ साथ लोकहित में दिए गए आदेशों का पालन करते हुए अपनी संस्कृति और सभ्यता को बनाए हुए।


                       

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