पटना 03 जून: जनता दल यूनाइटेड के वरिय छात्र नेता , पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष कृष्णा पटेल ने अपने बयान में कहा है कि हर क्षेत्र में देश के भविष्य माने जाने वाले छात्र- युवा एवं बच्चों के साथ भेदभाव और हकमारी हो रही है।
जिसमें कोविड का टीकाकरण भी अछूता नहीं रहा ।
एक सोची-समझी राजनीति और साजिश के तहत कोविड-19 वैक्सिन का ट्रायल सर्वप्रथम 45 वर्ष के ऊपर आयु वर्ग के लोगों पर किया गया और टीकाकरण प्रारंभ हुआ।
मैं पूछता हूं कि कितने गरीब - गुरबा सामान्य 45 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग की जनता को टीका लगा। अभी करोड़ों 45 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग के किसान- मजदूर गरीब जनता ऐसे हैं जिनका टीकाकरण नहीं हो पाया है।
यह पॉलिसी सर्वप्रथम इसलिए लाया गया कि देश में जितने भी खास पहचान वाले लोग हैं। जिनके हाथ में सारे तंत्र व्यवस्था है उनको प्राथमिकता के साथ टीकाकरण किया जाए और इस भयावह महामारी से सर्वप्रथम उनको बचाया जा सके।
आप हम सब जानते हैं कि वो खास लोग कौन हैं और उनकी उम्र सीमा 45 वर्ष से ऊपर है या नीचे।
जबकि जो ट्रायल आज देश के कोहिनूर नन्हे बच्चों पर किया जा रहा है साथ हीं साथ जो दूसरे चरण में देश की असल शक्ति कहे जाने वाली जनता जो 18 वर्ष से 45 वर्ष के आयु वर्ग के अंतर्गत आते हैं।
aजिनमें अधिकतर छात्रों और युवाओं का समावेश होता है उनको टीकाकरण किए जाने का जो निर्णय लिया गया। जिसके अनुसार आज टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है ।
अगर देश के भविष्य की वास्तविक चिंता होती तो कोविड-19 वैक्सिन का ट्रायल एक साथ देश के कोहिनूर बच्चों, असल शक्ति छात्रों व युवाओं और 45 वर्ष से ऊपर आयु वर्ग के जनताओं के पर कर ली गई होती।
आज बात होती है कोविड-19 के फर्स्ट वेब, सेकेंड वेब और थर्ड वेब की। जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन का दावा है कि तीसरा वेब सबसे अधिक देश के कोहिनूर नन्हे मुन्ने बच्चें जिनकी उम्र सीमा 15 वर्ष से नीचे की हो जो अपनी हक की लड़ाई लड़ नहीं सकते, जो अपने पैरों पर सही ढंग से खड़ा हो नहीं सकते, सही ढंग से चल- बोल नहीं सकते, अच्छा- बुरा समझ नहीं सकते वैसे नादान बच्चों के लिए सबसे अधिक खतरनाक होगा।
जिसका मूल कारण यह है कि जिस आयु वर्ग के समूह देश के कोहिनूर बच्चों और कर्णधार छात्रों व युवाओं को प्राथमिकता देते हुए पहली पंक्ति में शामिल कर चरणबद्ध तरीके से सर्वप्रथम टीकाकरण का अभियान चलाना चाहिए था जिसे आज सबसे निचली पंक्ति में रखा गया है जो बेहद आश्चर्यजनक है।
पूरे देश को पता है की सवा सौ करोड़ की आबादी वाले इस देश में एक साथ सबों का टीकाकरण संभव नहीं है।
लेकिन तीन चरणों में जिस- जिस आयु वर्ग की जनता को विभाजित किया गया और टीकाकरण प्रारंभ हुआ। उसमें सबसे अधिक प्राथमिकता देश के कोहिनूर बच्चें और कर्णधार छात्र व युवाओं को देनी चाहिए थी।
परंतु ऐसा हुआ नहीं यह एक सोची-समझी राजनीतिक और साजिश के तहत देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ और हकमारी नहीं तो क्या है।